परिचय
 
विश्व डाक दिवस प्रत्येक वर्ष 9 अक्टूबर को विश्व स्तर पर मनाया जाने वाला एक विशेष अवसर है। यह दिवस 1874 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना का स्मरण कराता है, जिसने तब से अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं को सुगम बनाने और वैश्विक संचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन, हम न केवल दुनिया भर में डाक सेवाओं के महत्व का जश्न मनाते हैं, बल्कि देश के डाक नेटवर्क, इंडिया पोस्ट, के समृद्ध इतिहास और वर्तमान स्थिति पर भी प्रकाश डालते हैं।
 
इंडिया पोस्ट का संक्षिप्त इतिहास
 
इंडिया पोस्ट, जिसे आमतौर पर भारतीय डाक सेवा के रूप में जाना जाता है, का इतिहास प्राचीन काल से चला आ रहा है। यह धावकों, घुड़सवार दूतों और कबूतरों के माध्यम से संचार की अनौपचारिक प्रणालियों से एक सुव्यवस्थित डाक नेटवर्क के रूप में विकसित हुआ है। इंडिया पोस्ट, जैसा कि हम आज जानते हैं, की औपचारिक नींव ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान रखी गई थी।
 
1854 में, पहला डाक टिकट, जिसे आमतौर पर "सिंधे डाक" कहा जाता है, सिंध क्षेत्र (अब पाकिस्तान में) में जारी किया गया था। इसने भारत में डाक सेवाओं की शुरुआत को चिह्नित किया। 1947 में स्वतंत्रता के बाद, इंडिया पोस्ट ने अपनी सेवाओं को आधुनिक बनाने और विस्तार देने के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए।
 
इंडिया पोस्ट द्वारा दी जाने वाली प्रमुख सेवाएँ
 
मेल सेवाएँ: इंडिया पोस्ट भारी मात्रा में मेल संभालता है, जिसमें पत्र, पोस्टकार्ड, पार्सल और बहुत कुछ शामिल है। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह की मेल सेवाएँ प्रदान करता है, जो दुनिया भर के लोगों को जोड़ती हैं।
 
वित्तीय सेवाएँ: इंडिया पोस्ट बचत खातों, आवर्ती जमा खातों और मासिक आय योजनाओं सहित कई वित्तीय सेवाएँ प्रदान करता है। डाकघरों का व्यापक नेटवर्क इन सेवाओं को दूरदराज के क्षेत्रों तक भी सुलभ बनाता है।
 
फिलेटली: इंडिया पोस्ट का एक जीवंत फिलेटली समुदाय है। यह देश की संस्कृति, विरासत और उपलब्धियों को प्रदर्शित करते हुए स्मारक और निश्चित डाक टिकट
 
जारी करता है। डाक टिकट संग्रहकर्ता, या फिलेटलीस्ट, इन रिलीज का बेसब्री से इंतजार करते हैं। खुदरा सेवाएँ:
 
ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स: भारतीय डाक कई ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं को अंतिम-मील डिलीवरी सेवाएँ प्रदान करके तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी व्यापक पहुँच यह सुनिश्चित करती है कि दूर-दराज के इलाकों में भी लोगों को उनके ऑर्डर तुरंत मिलें।
 
चुनौतियाँ और आधुनिकीकरण:
 
हालाँकि भारतीय डाक ने अपनी स्थापना के बाद से एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन डिजिटल युग में इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ईमेल और इंस्टेंट मैसेजिंग के बढ़ते चलन ने पारंपरिक डाक सेवाओं की आवश्यकता को कम कर दिया है। इसके अनुकूल होने के लिए, भारतीय डाक ने तकनीक को अपनाया है और ई-पोस्ट और ई-कॉमर्स समाधान जैसी सेवाएँ प्रदान की हैं। इसने अपने विशाल नेटवर्क को डिजिटल बनाने और दक्षता में सुधार के लिए भी पहल की है।
 
हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) का कार्यान्वयन है, जो एक वित्तीय संस्थान है जो बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए इंडिया पोस्ट के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
 
निष्कर्ष
 
विश्व डाक दिवस लोगों को जोड़ने और संचार को बढ़ावा देने में डाक सेवाओं के स्थायी महत्व की याद दिलाता है। इंडिया पोस्ट, अपने समृद्ध इतिहास और राष्ट्र की सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, लाखों भारतीयों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। आधुनिकीकरण और नवाचार को अपनाने के साथ, इंडिया पोस्ट देश के बुनियादी ढांचे का एक अनिवार्य हिस्सा बना हुआ है, जो शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच की खाई को पाट रहा है और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है। इस विश्व डाक दिवस पर, आइए हम इंडिया पोस्ट के गुमनाम नायकों, डाक कर्मचारियों की सराहना करें, जो यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास करते हैं कि हमारे पत्र और पार्सल अपने गंतव्य तक पहुँचें, संचार की भावना को जीवित रखें।


 


पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय उज्जैन में हुआ हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी का उद्घाटन



पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय उज्जैन में आयोजित हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत हिंदी भाषा के उन्नयन हेतु विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें  हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। हिंदी पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य श्री मुकेश कुमार मीना द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य महोदय ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए पुस्तकों के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए और अधिक से अधिक पठन-पाठन की प्रेरणा दी। साथ ही विद्यालय के पुस्तकालय में बहु उपयोगी पुस्तकों की उपलब्धता पर खुशी जाहिर की।
प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान पुस्तकालय अध्यक्ष कृष्ण पाल सिंह चौहान व अन्य शिक्षकगण भी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर हिंदी भाषा एवं साहित्य के संवर्धन में पुस्तकों की भूमिका पर जोर दिया। प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विविध हिंदी साहित्यिक कृतियों का अवलोकन किया।







PUSTAKOPAHAR 2025

 









पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण के लिए पुस्तकोपहार कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों ने आपस में पुस्तकों का आदान-प्रदान किया।

इस कार्यक्रम में विद्यार्थी पिछली कक्षाओं की पुस्तकें पुस्तकालय में जमा करते हैं और अगली कक्षा की पुस्तकें उपलब्ध होने पर प्राप्त करते हैं।

मुकेशकुमार मीना, प्राचार्य, विपिन मेहता प्रधानाध्यापक,केवि उज्जैन के मार्गदर्शन एवं कृष्णपालसिंह चौहान, पुस्तकालय अध्यक्ष के निर्देशन में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।

श्री मुकेश कुमार मीना ,प्राचार्य ने इस पुस्तकोपहार की उपयोगिता बताते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं वांछित वर्ग के विद्यार्थियों के आर्थिक लाभ हेतु यह एक बहुत ही उत्कृष्ट कार्यक्रम हैं।

इस मौके पर पुस्तकालय समिति के सदस्य कौशल्या शर्मा,शशि भूषण तिवारी,सरिता तेजवानी, कृष्ण पाल सिंह चौहान,ओम प्रकाश बैरवा, जुगल किशोर मीना ,चेतना शर्मा, नीलेश नागर, रामनिवास बैरागी ,पल्लवी गुप्ता , विपिन मेहता, पल्लवी काले, ग्रेसी शुक्ला आदि उपस्थित रहे।

Date: 16/04/2025


BARKHA SERIES BOOKS LEVEL 4

 


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 एक पठन श्रृंखला के video, pdf  औऱ सांकेतिक भाषा में विडियो दिए गए है,  उपरोक्त लिंक सभी के लिए उपलब्ध है

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BHOOTTA

CHALO PIPNI BANAE

CHUNNI MUNNI

GEHUN

MILI KI CYCLE

MIMI K LIYE KYA LU

NANI KA CHASHMA

PAKA AAM

PILLU KI GULLI

TABLA

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BABLI KA BAJA

CHAY

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CHAWAL

CHIMTI KA PHOOL

HAMARI PATANG

HICH HICH HICHKI

JEET KI PIPNI

MONI

OON KA GOLA

OUT

PATTAL

SHARBAT

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CHHUPAM CHHUPAI

GILLI DANDA

MAJAA AA GAYA

MILI KE GUBARE

MITHAAI

MITHE MITHE GULGULE

MUNMUN AUR MUNNU

PHOOLI ROTI

RANI BHEE

TOTA