✨ पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय उज्जैन में पठन संवर्धन सप्ताह एवं पुस्तकालय सप्ताह 2025 का भव्य आयोजन ✨

 


            पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय उज्जैन में आज पठन संवर्धन सप्ताह एवं पुस्तकालय सप्ताह–2025 के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार वितरित किए गए। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में पठन रुचि, भाषा कौशल एवं सृजनात्मकता का विकास करना रहा।


प्राथमिक व माध्यमिक स्तर पर हुईं विविध प्रतियोगिताएँ

प्राथमिक विभाग में रीड अलाउड, कविता पाठ, करेक्ट वर्ड इन वन मिनट तथा पैराग्राफ रीडिंग जैसी प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं। वहीं, सेकेंडरी सेक्शन में कहानी सुनाओ (हिंदी व अंग्रेज़ी), मेरी पुस्तक को जाने (हिंदी व अंग्रेज़ी), पुस्तक समीक्षा, बुक जैकेट एवं बुकमार्क प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन किया गया। सभी प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।


48 विद्यार्थियों को किया गया पुरस्कृत

प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्राथमिक विभाग के 15 तथा सेकेंडरी विभाग के 33 विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।


कार्यक्रम का संचालन एवं पुरस्कार वितरण

कार्यक्रम का संचालन सेकेंडरी विभाग से पुस्तकालय अध्यक्ष केपीएस चौहान तथा प्राथमिक विभाग से शिक्षिका निवेदिता छाजेड़ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

पुरस्कार वितरण माननीय प्राचार्य मुकेश कुमार मीना द्वारा किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों को नियमित रूप से पुस्तकालय का उपयोग करने, अधिकाधिक पुस्तकें पढ़ने तथा ज्ञान को अपने व्यक्तित्व विकास का आधार बनाने के लिए प्रेरित किया।


निर्णायक मंडल की सराहनीय भूमिका

प्रतियोगिताओं का निष्पक्ष एवं सुचारु मूल्यांकन प्राथमिक विभाग के सभी कक्षा अध्यापकों तथा सेकेंडरी विभाग में

राहुल चक्रकार,पल्लवी गुप्ता,संदीप पाटीदार,ओम प्रकाश बेरवा,चेतना शर्मा,जुगल किशोर मीना,चेतना जोशी, एवं मनोहर पेठारी द्वारा किया गया।


पठन संस्कृति को मिला नया आयाम

यह आयोजन विद्यालय में पठन-पाठन की संस्कृति को सुदृढ़ करने, विद्यार्थियों में भाषा दक्षता, अभिव्यक्ति क्षमता एवं रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। विद्यालय परिवार ने सभी विजेता विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।


वि‌द्यालय प्रबंधन समिति की बैठक संपन्न

 







वि‌द्यालय प्रबंधन समिति की बैठक छात्रों एवं विद्यालय के सर्वांगीण विकास को समर्पित रही 

19 नवंबर 2025

                19 नवंबर, बुधवार को दोपहर साढ़े 12 बजे पीएम श्री केंद्रीय विद्‌यालय, उज्जैन की वि‌द्यालय प्रबंधन समिति की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता नॉमिनी चेयरमैन श्री रंजीत कुमार, उपायुक्त राजस्व उज्जैन संभाग ने की। 

            बैठक का आरंभ विद्‌याथियों द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना एवं  स्वागत गीत से हुआ। प्राचार्य भी मुकेश कुमार मीना ने समिति के नॉमिनी चेयरमैन और सदस्यों को पौधा भेंटकर हरित स्वागत किया। उन्होंने विद्‌यालय की उपलब्धियों से अवगत कराते हुए बैठक का बिंदु‌वार एजेंडा प्रस्तुत किया। श्री मीना ने विद्यालय की मौजूदा आवश्यकताओं की ओर समिति का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कम्प्यूटर, इन्ट्रैक्टिव पैनल, सीसीटीवी कैमरे, लैब फर्नीचर, जनरेटर, कबड्डी मेट, एसी, पंखे, ट्यूब लाइट, भवन की पुताई, लाइब्रेरी के लिए किताबों की खरीद एवं स्टाफ़ क्वार्टर की मरम्मत आदि के लिए उपलब्ध धनराशि के व्यय तथा अनुमानित बजट हेतु अनुमोदन का अनुरोध किया। नामिनी चेयरमैन श्री रंजीत कुमार ने कहा कि तय बजट एवं उपलब्ध राशि के अंदर नियमानुसार जेम पोर्टल से सभी आवश्यक वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। 

                बजट के मौखिक अनुमोदन के पश्चात उपस्थित सदस्यों ने कई उपयोगी सुझाव दिये। यथा- विद्‌यालय में NCC की शुरुआत हो। खेलकूद में  छात्र छात्राओं दोनों के क्रिकेट को प्रोत्साहित किया जाए। स्तरीय खेल अनुभव के लिए नानाखेड़ा ग्राउंड में खेलने की अनुमति माँगी जा सकती है। एक्सपोजर विजिट के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण, कार्यशालाएं एवं उच्चतर कक्षाओं में संस्कृत के अध्ययन को बढ़ावा दिया जाए। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु कोचिंग कैंप आयोजित किये जा सकते हैं। स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर केन्द्रीय विद्‌यालय के विद्‌याथियों को भी उज्जैन के जिला स्तरीय आयोजन में भाग लेना चाहिए। इस संबंध में नॉमिनी चेयरमैन ने कहा कि इसी समय पर विद्यालय के कार्यक्रम होते हैं इसलिए संभव हो तभी इस दिशा में बढ़ा जा सकता है। पत्र भेजकर विद्यालय का नाम जुड़वाया जा सकता है।

                श्री रंजीत कुमार ने सभी सदस्यों के सुझावों का स्वागत करते हुए कहा- विद्यालय के बहुमुखी विकास के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना से आवश्यक निर्माण हेतु संबंद्धता के प्रयास भी किये जा सकते हैं।

                बैठक में डॉ सदानंद त्रिपाठी ( शिक्षाविद ), अली अहमद ( संगीतकार ), डॉ मोहन निमोले ( एससी एसटी प्रतिनिधि), अरुण कुमार मीना ( आयकर अधिकारी), रघुवीर प्रसाद, एम एम सिद्दीकी, शेर सिंह, डॉ हेमलता पाठक, योगेश राठौर आदि उपस्थित रहे। बैठक का संयोजन कार्यालय प्रभारी श्री अजय केवलिया ने किया। तकनीकि सहयोग दिया नमता गोखले एवं शैलेश कौशल ने। बैठक का संचालन वरिष्ठ शिक्षिका कौसिल्या शर्मा ने किया एवं आभार माना प्रधानाध्यापक विपिन मेहता ने।



बाल दिवस 2025







 

पी. एम. श्री केंद्रीय विद्यालय, उज्जैन में बाल दिवस समारोह – 14 नवंबर 2025


पी. एम. श्री केंद्रीय विद्यालय, उज्जैन में 14 नवंबर 2025 को बाल दिवस बड़े ही उत्साह और गरिमापूर्ण वातावरण में मनाया गया। प्रार्थना सभा में श्री शशिभूषण तिवारी, पीजीटी (हिन्दी) ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस के अवसर पर उनके जीवन, उनके व्यक्तित्व, तथा बाल अधिकारों एवं शिक्षा के प्रति उनके अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला।


विद्यालय प्राचार्य श्री मुकेश कुमार मीना जी द्वारा प्राथमिक विभाग के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के साथ पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।


बाल दिवस के विशेष अवसर पर प्राथमिक विभाग के विद्यार्थियों के लिए फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभा का प्रदर्शन किया। साथ ही, एक मिनी स्पोर्ट्स डे का भी आयोजन हुआ, जिसमें बच्चों ने खेल भावना, अनुशासन एवं टीमवर्क का सुंदर परिचय दिया। सभी विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने मिलकर कम्युनिटी लंच में सहभागिता की, जिससे आपसी सौहार्द और एकता को और मजबूती मिली।


प्राचार्य श्री मुकेश कुमार मीना जी ने अपने प्रेरणादायी संबोधन में बच्चों को न केवल बाल दिवस की शुभकामनाएँ दीं, बल्कि भविष्य के निर्माण में शिक्षा, अनुशासन और सकारात्मक सोच के महत्व पर भी प्रकाश डाला।


बाल दिवस कार्यक्रम सफलतापूर्वक और उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ तथा विद्यालय परिवार के लिए यह दिन यादगार बन गया।



 


01 NOVEMBER: MADHYA PRADESH FOUNDATION DAY

MP Foundation Day, held every year on November 1, marks the formation of the state of Madhya Pradesh. On this day in 1956, Madhya Pradesh, also known as the "Heart of India," was carved out from various regions that predominantly spoke Hindi. 

  • The day is filled with festive events showcasing the culture, traditions, and history of Madhya Pradesh.
  • The celebration of MP Foundation Day is a testament to the unity, shared identity, and progress of the people of Madhya Pradesh. It serves as a reminiscence of the state's rich cultural heritage, its historical journey, and the pivotal role it plays in India's development.

Formation of Madhya Pradesh

The formation of Madhya Pradesh is rooted in the post-independence era when India underwent a significant reorganization of states. Initially, India's states were formed based on administrative convenience, but the demand for linguistic-based states gained momentum. 

  • After India's independence in 1947, the demand for states' reorganization on a linguistic basis intensified, leading to the States Reorganization Act of 1956.
  • Under this Act, the boundaries of several Indian states were redrawn. On November 1, 1956, Madhya Pradesh was formed, integrating several regions where Hindi was predominantly spoken. 
  • These regions included the former Madhya Bharat, Vindhya Pradesh, and Bhopal State, with parts of the Central Provinces and Berar, the United Provinces (present-day Uttar Pradesh), and Bombay State. 
  • The state got its name due to its central location in the Indian subcontinent, with "Madhya Pradesh" meaning "Central Province."

 

Important Milestones

The formation of Madhya Pradesh was a significant milestone in itself, laying the foundation for a state that would go on to contribute substantially to India's development. Since its establishment, Madhya Pradesh has seen a multitude of transformations, enhancing its infrastructural growth, human development index, agricultural production, and literacy rates.

  • Several key historical events have shaped the state's trajectory. The establishment of Bhopal as the capital in 1956 played a significant role in the state's administrative and infrastructural development. The separation of Chhattisgarh in 2000, initially a part of Madhya Pradesh, marked a major territorial change. Despite the separation, Madhya Pradesh continued to grow and develop, enhancing its reputation as a cultural hub and a crucial contributor to India's economy and society.
  • To this day, Madhya Pradesh continues to commemorate its formation and growth every year on MP Foundation Day, reflecting on its journey and planning for its future.

 

Cultural Importance of MP Foundation Day

The cultural significance of MP Foundation Day is profound, given the rich cultural heritage and diverse traditions of Madhya Pradesh. Celebrations during this day serve as a showcase of the state's vibrant arts, music, dance, and local folklore. Various events, including traditional performances, music concerts, art exhibitions, and literary fairs, are organized across the state, emphasizing the depth and diversity of Madhya Pradesh's culture. The day fosters a sense of unity, pride, and communal harmony among the residents, strengthening their connection to their cultural roots.

 

Economic and Social Importance of MP Foundation Day

MP Foundation Day plays a vital role in recognizing and highlighting the state's economic and social progress. It's an opportunity for the government and the citizens to reflect on the state's growth over the years, discussing achievements, challenges, and future prospects. Awards and recognitions are often given to individuals and organizations that have contributed significantly to the state's development. The day, thus, encourages further progress and development, boosting morale and fostering a sense of shared responsibility towards the state's future.

Political Significance of MP Foundation Day

Politically, MP Foundation Day is of great relevance. It's an occasion for political leaders to connect with the masses, reaffirming their commitments towards the state's growth and well-being. The government uses this day to announce new policies, schemes, or projects, reflecting their vision for the state. Moreover, it serves as a platform to discuss past achievements and future goals, providing a clear roadmap for the state's development. Hence, it's an integral part of the state's governance and policy-making process.

 

Courtesy: https://testbook.com/mppsc-preparation/mp-foundation-day

 


 


 

परिचय
 
विश्व डाक दिवस प्रत्येक वर्ष 9 अक्टूबर को विश्व स्तर पर मनाया जाने वाला एक विशेष अवसर है। यह दिवस 1874 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना का स्मरण कराता है, जिसने तब से अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं को सुगम बनाने और वैश्विक संचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस दिन, हम न केवल दुनिया भर में डाक सेवाओं के महत्व का जश्न मनाते हैं, बल्कि देश के डाक नेटवर्क, इंडिया पोस्ट, के समृद्ध इतिहास और वर्तमान स्थिति पर भी प्रकाश डालते हैं।
 
इंडिया पोस्ट का संक्षिप्त इतिहास
 
इंडिया पोस्ट, जिसे आमतौर पर भारतीय डाक सेवा के रूप में जाना जाता है, का इतिहास प्राचीन काल से चला आ रहा है। यह धावकों, घुड़सवार दूतों और कबूतरों के माध्यम से संचार की अनौपचारिक प्रणालियों से एक सुव्यवस्थित डाक नेटवर्क के रूप में विकसित हुआ है। इंडिया पोस्ट, जैसा कि हम आज जानते हैं, की औपचारिक नींव ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान रखी गई थी।
 
1854 में, पहला डाक टिकट, जिसे आमतौर पर "सिंधे डाक" कहा जाता है, सिंध क्षेत्र (अब पाकिस्तान में) में जारी किया गया था। इसने भारत में डाक सेवाओं की शुरुआत को चिह्नित किया। 1947 में स्वतंत्रता के बाद, इंडिया पोस्ट ने अपनी सेवाओं को आधुनिक बनाने और विस्तार देने के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए।
 
इंडिया पोस्ट द्वारा दी जाने वाली प्रमुख सेवाएँ
 
मेल सेवाएँ: इंडिया पोस्ट भारी मात्रा में मेल संभालता है, जिसमें पत्र, पोस्टकार्ड, पार्सल और बहुत कुछ शामिल है। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह की मेल सेवाएँ प्रदान करता है, जो दुनिया भर के लोगों को जोड़ती हैं।
 
वित्तीय सेवाएँ: इंडिया पोस्ट बचत खातों, आवर्ती जमा खातों और मासिक आय योजनाओं सहित कई वित्तीय सेवाएँ प्रदान करता है। डाकघरों का व्यापक नेटवर्क इन सेवाओं को दूरदराज के क्षेत्रों तक भी सुलभ बनाता है।
 
फिलेटली: इंडिया पोस्ट का एक जीवंत फिलेटली समुदाय है। यह देश की संस्कृति, विरासत और उपलब्धियों को प्रदर्शित करते हुए स्मारक और निश्चित डाक टिकट
 
जारी करता है। डाक टिकट संग्रहकर्ता, या फिलेटलीस्ट, इन रिलीज का बेसब्री से इंतजार करते हैं। खुदरा सेवाएँ:
 
ई-कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स: भारतीय डाक कई ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं को अंतिम-मील डिलीवरी सेवाएँ प्रदान करके तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी व्यापक पहुँच यह सुनिश्चित करती है कि दूर-दराज के इलाकों में भी लोगों को उनके ऑर्डर तुरंत मिलें।
 
चुनौतियाँ और आधुनिकीकरण:
 
हालाँकि भारतीय डाक ने अपनी स्थापना के बाद से एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन डिजिटल युग में इसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ईमेल और इंस्टेंट मैसेजिंग के बढ़ते चलन ने पारंपरिक डाक सेवाओं की आवश्यकता को कम कर दिया है। इसके अनुकूल होने के लिए, भारतीय डाक ने तकनीक को अपनाया है और ई-पोस्ट और ई-कॉमर्स समाधान जैसी सेवाएँ प्रदान की हैं। इसने अपने विशाल नेटवर्क को डिजिटल बनाने और दक्षता में सुधार के लिए भी पहल की है।
 
हाल के वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) का कार्यान्वयन है, जो एक वित्तीय संस्थान है जो बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए इंडिया पोस्ट के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाता है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
 
निष्कर्ष
 
विश्व डाक दिवस लोगों को जोड़ने और संचार को बढ़ावा देने में डाक सेवाओं के स्थायी महत्व की याद दिलाता है। इंडिया पोस्ट, अपने समृद्ध इतिहास और राष्ट्र की सेवा के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, लाखों भारतीयों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। आधुनिकीकरण और नवाचार को अपनाने के साथ, इंडिया पोस्ट देश के बुनियादी ढांचे का एक अनिवार्य हिस्सा बना हुआ है, जो शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच की खाई को पाट रहा है और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है। इस विश्व डाक दिवस पर, आइए हम इंडिया पोस्ट के गुमनाम नायकों, डाक कर्मचारियों की सराहना करें, जो यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास करते हैं कि हमारे पत्र और पार्सल अपने गंतव्य तक पहुँचें, संचार की भावना को जीवित रखें।


 


पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय उज्जैन में हुआ हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी का उद्घाटन



पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय उज्जैन में आयोजित हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत हिंदी भाषा के उन्नयन हेतु विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें  हिंदी पुस्तकों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। हिंदी पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य श्री मुकेश कुमार मीना द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य महोदय ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए पुस्तकों के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए और अधिक से अधिक पठन-पाठन की प्रेरणा दी। साथ ही विद्यालय के पुस्तकालय में बहु उपयोगी पुस्तकों की उपलब्धता पर खुशी जाहिर की।
प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान पुस्तकालय अध्यक्ष कृष्ण पाल सिंह चौहान व अन्य शिक्षकगण भी उपस्थित रहे। सभी ने मिलकर हिंदी भाषा एवं साहित्य के संवर्धन में पुस्तकों की भूमिका पर जोर दिया। प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और विविध हिंदी साहित्यिक कृतियों का अवलोकन किया।







PUSTAKOPAHAR 2025

 









पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण के लिए पुस्तकोपहार कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों ने आपस में पुस्तकों का आदान-प्रदान किया।

इस कार्यक्रम में विद्यार्थी पिछली कक्षाओं की पुस्तकें पुस्तकालय में जमा करते हैं और अगली कक्षा की पुस्तकें उपलब्ध होने पर प्राप्त करते हैं।

मुकेशकुमार मीना, प्राचार्य, विपिन मेहता प्रधानाध्यापक,केवि उज्जैन के मार्गदर्शन एवं कृष्णपालसिंह चौहान, पुस्तकालय अध्यक्ष के निर्देशन में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ।

श्री मुकेश कुमार मीना ,प्राचार्य ने इस पुस्तकोपहार की उपयोगिता बताते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं वांछित वर्ग के विद्यार्थियों के आर्थिक लाभ हेतु यह एक बहुत ही उत्कृष्ट कार्यक्रम हैं।

इस मौके पर पुस्तकालय समिति के सदस्य कौशल्या शर्मा,शशि भूषण तिवारी,सरिता तेजवानी, कृष्ण पाल सिंह चौहान,ओम प्रकाश बैरवा, जुगल किशोर मीना ,चेतना शर्मा, नीलेश नागर, रामनिवास बैरागी ,पल्लवी गुप्ता , विपिन मेहता, पल्लवी काले, ग्रेसी शुक्ला आदि उपस्थित रहे।

Date: 16/04/2025